tag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post1392461959443990345..comments2024-01-12T17:06:56.043+05:30Comments on अनुभूति : सजा कैसा हो ?कालीपद "प्रसाद"http://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-24749548318936692132013-05-03T19:10:40.172+05:302013-05-03T19:10:40.172+05:30।कुछ अपनी पुरानी कुकृत्य को सोचकर उदारवादी का चों...।कुछ अपनी पुरानी कुकृत्य को सोचकर उदारवादी का चोंगा पहन लेते हैं और अपने आवारा लाडलों को ध्यान में रख कर सभ्यता की दुहाई देकर सजा कम कराने की मांग करते हैं। उन्हें डर लगा रहता है कहीं कड़े कानून के पंजे में उनके लाडले ना आ जाए। वे कठोर सजा को बर्बरता, असभ्य समाज का हथियार मानते हैं। उनसे कोई पूछे कि ढीले ढाले,दन्त बिहीन कानून बनाकर उन दरिंदो को बलात्कार करने का मौक़ा या छुट देना क्या सभ्य समाज का कृत्य है? जो शक्त कानून है उनका उचित पालन न कर अपराधी को छुट देना क्या सभ्य समाज का कार्य है ?<br /><br />aapne bilkul sahi kaha hai. asal mein dakait, loonte wale to vahan baithe hain to kanoon kaise banega....prritiy----snehhttps://www.blogger.com/profile/15786805769915315081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-4389781969245790802013-04-26T12:33:13.664+05:302013-04-26T12:33:13.664+05:30उचित तो यही लगता है कि कठोरतम् कानून बने और अति शी...उचित तो यही लगता है कि कठोरतम् कानून बने और अति शीघ्र दण्ड मिले ..... परन्तु क्या कानून का भय मात्र इस अपराध को रोक पाएगा..... Neeta Mehrotrahttps://www.blogger.com/profile/09302490185877680176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-87022182981005251122013-04-26T11:36:08.660+05:302013-04-26T11:36:08.660+05:30वाह
वाह<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13990940478386858034noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-86541661899907053542013-04-25T18:23:33.872+05:302013-04-25T18:23:33.872+05:30गाँधी जी ने कहा था पाप से घृणा करो पापी से नहीं .....गाँधी जी ने कहा था पाप से घृणा करो पापी से नहीं .......सजा ..सजा ...सजा पूरे देश में चर्चा है । सजा कठोरतम मिलनी चाहिए यह भी आवशयक है । पर बेहतर ये भी होता की ये मानसिक विकृति के इन कारणों के खिलाफ भी आवाज उठती जिन से ये मनोवृति पनप रही है । इस तरह की मनोवृत्ति जन्म देने वाला भी समाज ही है । पर अफ़सोस ये की समाज इधर कदम ही नहीं उठाना चाहता है .......समाज गूगल पर अश्लीलता का मजा लेता है , समाज फैसन के नाम पर बच्चो को अश्लील परिधान पहनाता है , समाज बेटियों को अपने ही बॉय फ्रेंड से बात करने की इजाजत देता है । जो चाल चलन पहले माँ बाप बेटियों के दुल्हों के लिए परख करते थे अब सब कुछ अपरिपक्व मस्तिष्क के बच्चों पर छोड़ने लगे हैं । बलात्कार पर शोध होना चाहिए और दंड का भागीदार उन कारकों को भी बनाया जाना चाहिए जिस से बलात्कारी का मस्तिष्क बलात्कार करने के लिए प्रेरित हुआ । Naveen Mani Tripathihttps://www.blogger.com/profile/12695495499891742635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-21362848584114945912013-04-24T22:41:35.072+05:302013-04-24T22:41:35.072+05:30अन्नपूर्ण जी गणतंत्र में कोई भी अपना मत रख सकता ह...अन्नपूर्ण जी गणतंत्र में कोई भी अपना मत रख सकता है परन्तु एक बात तो सब मानेंगे कि वर्तमान परिस्थिति में अपराध रुक नहीं रहा है .कारण यह कि अपराधियों में अब कानुन का डर नहीं है .इसलिए पहला कदम होना चाहिए इन अपराधियों डर पैदा करना ,जो मैंने लिखा उसी को ध्यान में रख कर लिखा है कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-83858763659716177272013-04-24T15:52:56.033+05:302013-04-24T15:52:56.033+05:30वाकई सजा ऐसी होनी चाहिए जिससे खौफ पैदा किया जा सके...वाकई सजा ऐसी होनी चाहिए जिससे खौफ पैदा किया जा सके !!पूरण खण्डेलवालhttps://www.blogger.com/profile/04860147209904796304noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-44070307057593393482013-04-24T15:47:16.122+05:302013-04-24T15:47:16.122+05:30रोष स्वाभाविक और लाजिमी है , किन्तु समाधान ढूँढना ...रोष स्वाभाविक और लाजिमी है , किन्तु समाधान ढूँढना बेहद जरूरी है। आपकी टिप्पणियों मे एक सज्जन की टिप्पणी मे पढ़ा कि अपराधियों को दंड नहीं दिया जाना चाहिए या दंड समाधान नहीं है परंतु जबतक इस तरह के कुछ कठोर कदम नहीं उठाए जाएंगे तब तक अपराधियों पर लगाम नहीं लगेगी । चर्चाए होती ही रहती है और और कोई हल नहीं निकल पाता है । annapurnahttps://www.blogger.com/profile/17555540543857265518noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-37078482074569595152013-04-23T21:53:43.980+05:302013-04-23T21:53:43.980+05:30रोष के साथ साथ होश से भी काम लेना होगा....ऐसा ठोस ...रोष के साथ साथ होश से भी काम लेना होगा....ऐसा ठोस कदम उठाना होगा के दरिंदों की रूह काँप उठे |Tamasha-E-Zindagihttps://www.blogger.com/profile/01844600687875877913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-10370106954625009042013-04-23T20:19:07.794+05:302013-04-23T20:19:07.794+05:30आपका आक्रोश जायज है
इसके सार्थक निराकरण के लिये स...आपका आक्रोश जायज है <br />इसके सार्थक निराकरण के लिये सभी को जागरूकता का <br />परिचय देते हुये न्याय तुल्य पहल करने की आवयश्कता है <br />जानदार प्रस्तुति Jyoti kharehttps://www.blogger.com/profile/02842512464516567466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-39636162408196891632013-04-23T01:15:08.505+05:302013-04-23T01:15:08.505+05:30बहुत रोष है जनता में एक कदम जल्द ही उठाना होगा ......बहुत रोष है जनता में एक कदम जल्द ही उठाना होगा ..........अरुणाhttps://www.blogger.com/profile/11069255398676710722noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-64713828303339734332013-04-22T23:51:47.728+05:302013-04-22T23:51:47.728+05:30कठोर कदम की आवश्यकता है,पृथ्वी दिवस की बधाई कठोर कदम की आवश्यकता है,पृथ्वी दिवस की बधाई अज़ीज़ जौनपुरीhttps://www.blogger.com/profile/16132551098493345036noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-32199835520134305022013-04-22T23:13:53.322+05:302013-04-22T23:13:53.322+05:30 आभार ! आभार !कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-16856901184617450302013-04-22T22:35:42.757+05:302013-04-22T22:35:42.757+05:30भय बिन प्रीत न होत गुसाईं .भय बिन प्रीत न होत गुसाईं .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-66538183313334695072013-04-22T21:31:53.755+05:302013-04-22T21:31:53.755+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
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शस्य श्यामला धरा बनाओ।...बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!<br />--<br />शस्य श्यामला धरा बनाओ।<br />भूमि में पौधे उपजाओ!<br />अपनी प्यारी धरा बचाओ!<br />--<br />पृथ्वी दिवस की बधाई हो...!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-11112995980425148122013-04-22T21:17:22.222+05:302013-04-22T21:17:22.222+05:30आज की ब्लॉग बुलेटिन भारत की 'ह्यूमन कंप्यूटर&...आज की ब्लॉग बुलेटिन <a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2013/04/blog-post_22.html" rel="nofollow"> भारत की 'ह्यूमन कंप्यूटर' - शकुंतला देवी - ब्लॉग बुलेटिन </a> मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !ब्लॉग बुलेटिनhttps://www.blogger.com/profile/03051559793800406796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-48785323308072040342013-04-22T20:50:28.436+05:302013-04-22T20:50:28.436+05:30gussa ana hi chahiyee....par kahan kuch ho raha ha...gussa ana hi chahiyee....par kahan kuch ho raha hai ....Rewa Tibrewalhttps://www.blogger.com/profile/06289019678581015004noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-30600244199672763612013-04-22T14:25:10.919+05:302013-04-22T14:25:10.919+05:30इस कुकृत्यों को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश...इस कुकृत्यों को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-75887018123626163142013-04-22T13:13:14.725+05:302013-04-22T13:13:14.725+05:30आज इस जघन्य अपराध के रोकथाम के लिए मृत्युदंड ही का...आज इस जघन्य अपराध के रोकथाम के लिए मृत्युदंड ही कारगर है Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-90643085666827861082013-04-22T12:38:44.968+05:302013-04-22T12:38:44.968+05:30अब तो यही होना चाहिये मै भी यही लिखकर चुकी हूँ इस ...अब तो यही होना चाहिये मै भी यही लिखकर चुकी हूँ इस लिंक पर http://vandana-zindagi.blogspot.in/2013/04/blog-post_22.htmlvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-33502924081658954432013-04-22T12:31:55.439+05:302013-04-22T12:31:55.439+05:30आदरणीय दिनेश राय द्विवेदी जी ! मैं भी यही चाहता हू...आदरणीय दिनेश राय द्विवेदी जी ! मैं भी यही चाहता हूँ कि जो गलत काम (अपराधिक काम ) चाहे वह बतात्कार हो ,हत्या हो , वसूली हो ,बाहुबल या अर्थ बल से चुनाव जितना हो , सब बंद हो जाय।परन्तु वर्तमान परिस्थिति में यह रुक नहीं रहा है वरन बढ़ता ही जा रहा है। क्या कोई प्रभावी उपाय है किसी के पास ? माफ़ कीजिये मैं आपके इस मत से कि -"त्वरित रूप से किसी मामले में दंड मिल भी जाए तो वह केवल एक बदले की कार्यवाही हो कर रह जाता है।" सहमत नहीं हो पा रहा हूँ। न्यालायाय के त्वरित प्रक्रिया के द्वारा कानून सहमत दंड मिलेगे तो यह बदले की भावना कैसे होगी? इसके पहले भी ऐसा हो चूका है जैसे कि आपने कहा । जहाँ तक पांच गुना ज्यादा न्यायालय की आवश्यकता है ,इस बात पर मैं आप से सहमत हूँ। सरकार इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है।देश की स्थिति बद से बदतर होते जा रहा है।.इस अध्:पतन को रोकने के लिए क्या कोई तरिका है सरकार के पास ? सरकार पर जब तक दबाव नहीं पड़ता तबतक जनकल्याण का कोई काम नहीं होता। सरकार जानबूझ कर यथा स्थिति बनाये रखना चाहते है जिस से जनता का ध्यान उनके काले करतूत (घोटाला ) की ओर ना जाए। कृपया तीसरा खम्भा का URL भेजें। कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-30938463509234627752013-04-22T11:44:22.500+05:302013-04-22T11:44:22.500+05:30रोष सही है और कुछ कड़े कदम..कड़े कानून बने ये निह...रोष सही है और कुछ कड़े कदम..कड़े कानून बने ये निहायत जरूरी हैरश्मि शर्माhttps://www.blogger.com/profile/04434992559047189301noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-29566360326542695292013-04-22T10:45:30.289+05:302013-04-22T10:45:30.289+05:30समझ सकती हूँ आपके मन का रोष .... अब कुछ ठोस और विच...समझ सकती हूँ आपके मन का रोष .... अब कुछ ठोस और विचारणीय कदम उठाने ही होगें डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-80857568184032121182013-04-22T10:43:30.358+05:302013-04-22T10:43:30.358+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है. Chaitanyaa Sharmahttps://www.blogger.com/profile/17454308722810077035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-10841203540036727792013-04-22T09:28:37.529+05:302013-04-22T09:28:37.529+05:30कालीपद जी, हमारा उद्देश्य होना चाहिए कि हम समाज से...कालीपद जी, हमारा उद्देश्य होना चाहिए कि हम समाज से इस तरह की घटनाओं का होना बंद हो। किसी अपराधी को सजा देना उस का समाधान नहीं है। त्वरित रूप से किसी मामले में दंड मिल भी जाए तो वह केवल एक बदले की कार्यवाही हो कर रह जाता है। उस से समाज पर कोई असर नहीं पड़ता ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होती रहती है। <br />समाज में न्याय की स्थापना होने से ही यह संभव हो सकता है। न्याय की स्थापना के लिए इस देश को वर्तमान अदालतों से पाँच गुना अदालतें चाहिए। कुछ बरस पहले त्वरित न्यायालयों का एक प्रयोग हुआ था। इन न्यायालयों के पास 50 से 100 मुकदमे होते थे तथा उन्हें कहा जाता था कि औसतन दो दिनों में एक मुकदमे का निपटारा किया जाए। यानी हर माह कम से कम 10 से 15 मुकदमों का निपटारा। इन अदालतों ने इस गति को प्राप्त कर लिया और अदालतों ने माह में 20 सत्र प्रकरण तक निपटाए जिसे विश्वभर में सब से त्वरित गति कहा जा सकता है। लेकिन यह तब संभव है जब कि सत्र न्यायालयों के पास 50 से 100 मुकदमों से अधिक न हों। लेकिन इस के लिए अदालतों की संख्या में पाँच गुना वृद्धि करनी होगी। यह राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। लेकिन कोई राज्य सरकार इस काम के लिए वित्त उपलब्ध नहीं कराना चाहती। इस काम को करने से वोट प्रभावित होता नहीं नजर आता। आप तीसरा खंबा पर पुरानी पोस्टें देखें तो मैं ने तीन चार वर्ष पहले ही यह लिखा था कि सरकारें यदि न चेतीं तो विद्रोहों की स्थिति आएगी। वह अब दिखाई दे रही है। सब से अधिक दिल्ली में दिखाई दे रही है। दिल्ली तो सीधे केंद्र सरकार के अधीन है। यदि केंद्र सरकार दिल्ली में अदालतों की संख्या तुरंत बढ़ा दे तो वहाँ न्याय त्वरित होने लगेगा और अपराध करने वालों को लगने लगेगा कि दिल्ली में बचना कठिन है। तब धीरे धीरे ये अपराध घटने लगेंगे। दिल्ली में एक बार आदर्श स्थिति प्राप्त हो जाए तो फिर उस से राज्य सरकारों को भी इस दिशा में प्रेरणा मिलेगी उन्हें भी ये काम करने ही होंगे। लेकिन इस दिशा की तरफ अभी कोई सोच ही नहीं रहा है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com