tag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post966244093392489824..comments2024-01-12T17:06:56.043+05:30Comments on अनुभूति : पुरुष ,नारी ,दलित और शास्त्र कालीपद "प्रसाद"http://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-13959157660233350102014-12-29T15:20:57.965+05:302014-12-29T15:20:57.965+05:30सारगर्भित विश्लेषण के लिए आभार..सारगर्भित विश्लेषण के लिए आभार..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-59513140680974411932014-12-26T12:48:42.595+05:302014-12-26T12:48:42.595+05:30बढिया पोस्ट!!
बढिया पोस्ट!!<br /><br />Pratibha Vermahttps://www.blogger.com/profile/09088661008620689973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-12622735001228188402014-12-26T09:04:18.355+05:302014-12-26T09:04:18.355+05:30"जनसँख्या की दृष्टि से देखा जाय तो दलितों से ..."जनसँख्या की दृष्टि से देखा जाय तो दलितों से ज्यादा संख्या नारीयों का है l नारी चाहे उच्चवर्ग की हो या निम्नवर्ग की ,सबके लिए उन शास्त्रों ने उन्हें “बुद्धिहीन पतित ,अपवित्र और नरक का द्वार” कहा है l इसीलिए नारी भी दलित में सम्मिलित है l "<br /> शायद आपने जब जनसंख्या की बात कही तब आप सिर्फ भारतवर्ष की ही कल्पना कर रहे होगें, दलित हो सकता है सिर्फ भारत मे हो. मगर स्त्री पूरे विश्व मे हैं।<br />जहाँ तक मेरा ज्ञान है किसी भी वेद, पुरान, कुरान, बाइबिल मे नारी को नरक का द्वार नही कहा गया। और शायद कहा भी नही जा सकता। जो जन्म्दात्री है , जो जीवन देती है, जिसने धरती पर ममता, क्षमा, सहनशीलता को स्थापित किया हो वो कैसे पतिति हो सकती है।<br /><br />palashhttps://www.blogger.com/profile/09020412180834601052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-67131045595218847512014-12-26T09:02:16.101+05:302014-12-26T09:02:16.101+05:30और जहां तक मनुस्मृति की बात है , तो हमारा धर्म कभी...और जहां तक मनुस्मृति की बात है , तो हमारा धर्म कभी किसी भी व्यक्ति पर कोई विचारधारा थोपता नहीं है , यह इस्लाम या ईसाइयत की तरह नहीं है , जहां जो बात है सबको मानना होगा, यहाँ, विचार और उसके अनुसार अमल की स्वतन्त्रता है ॥ यहाँ ईश्वर को मानने की या नहीं मानने की ॥ उसे पत्थरों में देखने की या निराकार समझने की पूरी स्वतंत्रता है और यह आज से नहीं है वरन सहस्राब्दियों से है। जो पूर्ण है वही शून्य है जो शून्य है वही पूर्ण है ........। मुझे नहीं लगता अधिकांश लोग जो शास्त्रों के संबंध में ऐसे निर्णय पर पहुचते , ऐसे किसी निर्णय से पहले उन्हे संपूर्णता में पढ़ते है ॥ बस कहीं अखबार में पढ़ लिया , कहीं पत्रिका में पढ़ लिया या कहीं सुन लिया और अपनी धारणा बना ली ......... सबसे बड़ी बात हमारा धर्म हमे पूरी स्वतन्त्रता देता है कि हम किसी बात को पहले उस पर विचार करें , समझे और तब फिर माने ... यह स्वतंत्रा अन्यत्र उपलब्ध नहीं है, अन्यत्र सर काट लाने का फतवा की व्यवस्था है... अपने यहाँ कभी सुना कि मेजोरिटी विचार से अलग विचार रखहने पर उनका सर काट दिया गया। यहाँ गुरुनानक के लिए भी जगह है और दयानन्द सरस्वती का भी दर्शन स्वीकार्य है .... इसलिए अपने धर्म के प्रति गौरवान्वित होइए .... यह सबसे विशिष्ट एवं व्यापक धर्म है । Neeraj Neerhttps://www.blogger.com/profile/00038388358370500681noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-63390750889239339132014-12-26T08:46:30.322+05:302014-12-26T08:46:30.322+05:30मान्यवर ये विचार आपके हैं या उस ब्लॉग लेखिका के ? ...मान्यवर ये विचार आपके हैं या उस ब्लॉग लेखिका के ? खैर किसी भी हालत में शास्त्रों के ज्ञान का अभाव इसमे स्पष्ट परिलक्षित होता है। ईश्वर के अस्तित्व के संबंध में शास्त्रों में वृहत चर्चा है , आवश्यकता है उन्हे गहनता से पढ़ने की । जहां तक अवतार का प्रश्न है तो अवतार की परिकल्पना के सबंध में समाज में व्यापक भ्रांतियाँ है। देखिये ईश्वर अगोचर , अजन्मा , नित्य है , जो नित्य है उसकी जन्म और मृत्यु कैसी ? इन विषयों पर किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले , अपनी ओर से जानकारी प्राप्त करने की पूरी कोशिश की जानी चाहिए। जहां तक अर्द्ध नारीश्वर का प्रश्न है, जो पूर्ण है वही पुरुष है वही नारी है या यूं कहें वह पुरुष भी है वह नारी भी है, परेशानी क्या है कि लोग चित्र के हिसाब से ईश्वर को ढूँढने लग जाते है, ईश्वर चित्रों में नहीं बसा करता ..... :) और चित्रों में ईश्वर नहीं है ऐसी बात भी नहीं :) Neeraj Neerhttps://www.blogger.com/profile/00038388358370500681noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-26188720365121914542014-12-25T20:01:47.584+05:302014-12-25T20:01:47.584+05:30 बढिया पोस्ट बढिया पोस्टMaheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-40420933697027844492014-12-25T18:53:02.362+05:302014-12-25T18:53:02.362+05:30आपका आभार राजेंद्र कुमार जी .
आपका आभार राजेंद्र कुमार जी .<br />कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1572381400204663387.post-27681365775168264142014-12-25T12:45:14.927+05:302014-12-25T12:45:14.927+05:30apni apni soch hai aur ardh adhyyan iska karan hai...apni apni soch hai aur ardh adhyyan iska karan hai .nice post .Shalini kaushikhttps://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com