!!!शहीदों को सलाम !!! |
हमारे देश के नेतायों के बारे में जनता यह सोचती है कि वे लोभी हैं , स्वार्थी हैं, स्वार्थ के लिए कुछ भी कर सकते है.। लेकिन देश की रक्षा करते .हुए शहीद हुए वीरों के लिए भी उनके मन में निंदनीय विचार हो सकते हैं ,यह जानकर हर भारतवासी का मन ग्लानी से भर जाता है ,क्षोभ होता है । नेताजी कहते है :-
नेता उवाच !!!
"सैनिक और पुलिस रक्षक हैं ,सरहद और नेता के
जनता तो"कैटल "है , हाँका चाहिए हाँकने के लिए.।
सरहद पर शहीद हुए तो क्या हुआ ?
शैनिक होते हैं शहीद होने के लिए.।
जिन्दा थे, पर कष्ट में थे ,कष्ट में थे परिवार भी
दशलाख और पेन्सन मिला ,परिवार को और क्या चाहिए?"
नेतायों के सोच पर इंसानियत शर्मशार हुआ
गीदड़ ज्यों शव को नोचता ,शहीद की कुर्बानी बे-आबरू हुआ.।
सुना है ,चोर डाकुयों ने अपना भेष बदल लिए
सर पर टोपी ,बदन पर खादी-कुर्ता पहन लिए.।
शहीदों को हार्दिक श्रद्धांजली !!!
हाँका - जानवरों को हांक कर इकट्ठे करने वाला व्यक्ति
कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित
23 टिप्पणियां:
कटु सत्य एवँ निर्मम यथार्थ को बहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति दी है आपने रचना में ! वाकई हमारे 'नेताओं' के ऐसे उवाच ने हमें शर्मिन्दा ही किया है !
स त्यता को उजागर करती भावपूर्ण रचना ... आभार
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी का लिंक कल मंगलवार (13-08-2013) को "टोपी रे टोपी तेरा रंग कैसा ..." (चर्चा मंच-अंकः1236) पर भी होगा!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
कट्टु सत्य,तीखा कटाक्ष करती रचना ,,,
RECENT POST : जिन्दगी.
सुना है ,चोर डाकुयों ने अपना भेष बदल लिए
सर पर टोपी ,बदन पर खादी-कुर्ता पहन लिए.।
बिना हिचक आपने सत्य कह दिया लगता है दर समाप्त हो गया
सही है.
तुस्टीकरण की नीति नें देश को तमाशा बना दिया है और ये इस तरह की बयानबाजी तुस्टीकरण का ही नतीजा है !!
हर्षवर्धन जी ,आपका आभार !
"मयंक '' जी आपका आभार !
सटीक !
सटीक रचना
कड़वा सच लिखा है आपने ... पर इन नेताओं को शर्म नहीं आने वाली ...
आपकी भावनाओं से सहमत हूँ..
कटु सत्य को कहा इस उवाच में
ये सब के सब धर्म च्युत मौसेरे भाई हैं। गोली मारो इन्हें। वोट की गोली।
atyant dukh ki baat hai ye......bhavpurn rachna
स्वंत्रता-दिवस की कोटि कोटि वधाइयां !बहुत रोचक व्यंग्य के लिये साधुवाद !!
सुन्दर भाव और अपेक्षाओं से संसिक्त यौमे आज़ादी को सार्थक होने का सन्देश देती रचना।
वीरुभाई ,कैंटन (मिशिगन )
veerubhai1947.blogspot.com
सचमुच अशोभनीय ! शहीदों को नमन !
अच्छा व्यंग अच्छा प्रयास..... हमारी तिजारती सोच नैतिकता व संवेदना को परे करती जा रही है ...शुभकामनाएं प्रसाद जी ...
nice
कटु सत्य...
सुना है ,चोर डाकुयों ने अपना भेष बदल लिए
सर पर टोपी ,बदन पर खादी-कुर्ता पहन लिए.।
bahut khoob ...!!
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