सरकार की अघोषित नीति है कि यदि सरकार एक रूपया जनता के हित में खर्च करती है तो उसका बढ़ चढ़ कर प्रोपेगंडा किया जाय। समाचार पत्र, टी वी न्यूज चैनेल ,रेडियो सब में विज्ञापन देकर सबको बताया जाय ,चाहे उसमे दस रुपये और खर्च क्यों न हो जाय। इसके विपरीत व्यापार और उद्योग को अरबों रूपया का टैक्स कंसेसन के रूप में फ़ायदा पहुँचाते हैं उसका किसी को कानो कान खबर नहीं होने देते परन्तु उसे दबा देते हैं। वास्तव में सरकार औद्योगित घराने का सेवक है। जनता की याद तब आती है जब वोट लेना होता है।
वित्तमन्त्री हमेशा राजकोषीय घाटा का रोना रोते रहते हैं। इसका दोष यह कहकर जनता पर डाल देते हैं कि पेट्रोल/डीज़ल /रसोई गैस /खाद्य सामग्री पर दिया गया सब्सिडी के वजह राजकोषीय घाटा बढ़ता ही जाता है। वित्तमंत्री कभी यह नहीं बताते कि वाणिज्य और उद्योग को दिया गया सब्सिडी के बजह राजकोषीय घाटा बढ़ा है क्योकि उन्हें (efficiency incentive) क्षमता-प्रोत्साहन के नाम से दिया जाता है। सब्सिडी शब्द उनके लिए डिग्निटी से नीचे का शब्द है.लेकिन है वही ,लिफाफे में बंद कर लेते हैं । इसे चाहे आप सब्सिडी कहे ,टैक्स कन्सेसन कहे या क्षमता-प्रोत्साहन ,हर रूप में यह राजकोषीय घाटा बढाता है।
बर्ष २००५-२००६ से सरकार टैक्स कंसेसन दे रही है। खबरों के मुताबिक अबतक उद्योग को ३०लाख करोड़ रुपये से ज्यादा टैक्स कन्सेसन दे चुके हैं। केवल चालू वजट में ही वित्तमंत्री ने ५.७ लाख करोड़ का टैक्स कन्सेसन का गिफ्ट उद्योग को दिया है। अगर पिछले तीन साल की बात करें तो यह अंक करीब १५ लाख करोड़ का है। यदि केवल तीन साल का टैक्स कंसेसन १५ लाख करोड़ रुपये वसूल कर सार्वजनिक Infrastructure क्षेत्र में लगाया जाता तो राजकोषीय घाटा समाप्त हो जाता, साथ साथ बहुत लोगो को रोजगार भी मिलती। इस से यही पता लगता है कि राजकोषीय घाटा के कारण उद्योग को दिया गया टैक्स कांसेसन है, जनता को दिया गया सब्सिडी नहीं।
हाल ही में संसद ने खाद्य सुरक्षा बिल पास किया। अनुमान है कि इसमें सरकार को ३५ से ४० हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। लोग पूछ रहे है … ये पैसे आयेंगे कहाँ से ? अगर उद्योग को दिया गया टैक्स कांसेसन पर नज़र डाले ,जो अबतक ३० लाख करोड़ रुपये है,। इस तुलना में ४० हजार करोड़ बहुत छोटा अंक है , केवल. ०. ०१३४% ऑफ़ ३० लाख करोड़। इस छोटा अमाउंट को उद्योग से निकालने में वित्तमंत्री को ज्यादा समय नहीं लगेगा ,यह तो उनका बाँया हाथ का खेल है.। केवल इन्तेजार रहेगा सोनिया गांघी जी के इशारे की.। सोनिया जी ने मन मोहन से अच्छी तरह गुना भाग करवा कर ही यह बिल आगे बढाया है.। इस बिल को लाने का उनका कोई भी उद्येश्य रहा हो ,…. २०१४ के इलेक्शन जितने की उद्येश्य से हो या वास्तव में भारत के जनता की भूखमिटाने की इच्छा से हो , अभी वह बधाई के पात्र नहीं बनी.। अभी तक केवल वह दो ही सीढ़ी ही चढ़ पायी है.। पहला बिल का ड्राफ्ट बनवाना ,दूसरा संसद से पास करवाना और राष्ट्रपति से मंजूर करवा कर कानूनी रूप देना। तीसरी सीढ़ी पार करना बहुत कठिन है.। वह है वितरण प्रणाली में मौजूद लीकेज को बंद करना और चौथी सीढी है यह सुनिश्चित करना कि यदि एक व्यक्ति के लिए १० रुपये मंजूर हुआ है तो उसको १० रूपया ही मिले। उस से कम नहीं। वितरण प्रणाली में यदि लीकेज बंद नहीं किया गया तो यह भी ९०,००० करोड़ के मनरेगा योजना जैसे असफल योजना होगी। तब यह समझा जायेगा कि सोनिया गाँधी और कांग्रेस पार्टी गरीबों के नाम लेकर लीकेज के माध्यम से अपने चट्टे बट्टों को लाभ पहुँचाया है.। यही तो होता आया है.। सोनिया गाँधी वास्तव में वधाई के हकदार तभी होगी जब वितरण प्रणाली में मौजूदा लीकेज बंद करवा कर वास्तविक गरीब को उसका हक़ दिलवा देगी ।
कालीपद "प्रसाद "
21 टिप्पणियां:
बड़ा विकराल अर्थतन्त्र है। विशाल जनसंख्या के मध्य कोई अर्थतन्त्र कारगर नहीं हो सकता। राजकोषीय घाटे की बात भी पुष्ट नहीं है।
सार्थक लेख
सार्थक आलेख
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी पधारें
बहुत ही सटीक आंकड़ों के साथ लेख है, सर आपका
सार्थक आलेख
संग्रहणीय पोस्ट
सादर
सार्थक लेख ! बधाई स्वीकार करें !
हिंदी फोरम एग्रीगेटर पर करिए अपने ब्लॉग का प्रचार !
satik sarthak lekh
सुन्दर और सार्थक आलेख.. शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ।
बेहद सार्थक लेख....
शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं..
सादर
अनु
स्थति इससे बी भयावह है कई योजनाओं में तो इस प्रोपगैंडा का खर्चा ही इस योजना से ज्यादा आ जाता है ! अखिलेश सरकार नें बेरोजगारों को लेपटोप बांटे तीन करोड़ के और उस आयोजन पर खर्चा आया बारह करोड़ का !
बिलकुल सही बात आपकी ......
सुन्दर और सटीक !
शिक्षक दिवस पर शुभकामनायें... !!
sundar aalekh .....
बहुत सार्थक आलेख...
सार्थक और सटीक लेख ....
Very useful and analytical post. Thanks.
सुन्दर और सार्थक आलेख..
सार्थक / सजग / सटीक अभिव्यक्ति .
भ्रष्टाचार के खिलाफ एक ज़बरदस्त मुहीम, मित्र आप का आभार !
सामयिक ..सार्थक ..प्रस्तुति |
वितरण करेगा कौन? वही, जिसने अभी तक वितरित किया। :(
एक टिप्पणी भेजें