(यह एक सत्यकथा है , परन्तु पात्रों का नाम बदल दिया गया गया है )
रमेश एक मिलिटरी शिक्षा संस्था में शिक्षण का काम करता था |उस संस्था में शिक्षण का काम सिविलियन इंस्ट्रक्टर ही करते थे परन्तु उनके अनुपस्थिति में मिलिटरी आफिसर की पोस्टिंग होती थी |ऐसे ही एक परिस्थिति में मेज़र शर्मा की पोस्टिंग उस संस्था में हुआ था | तीन मिलिटरी आफिसर पहले थे| इनको मिला कर चार आफिसर हो गए | सिविलियन और मिलिटरी आफिसर मिलकर सोलह /सत्रह सदस्य थे|
मेज़र शर्मा वैसे तो बहुत अच्छे व्यक्ति थे परन्तु उनका एक तकिया कलाम था जिसके वजह उनको लोग घमंडी समझते थे | वह सिविलियन के बारे में जब भी कुछ कहते ,शुरू "ब्लडी सिविलियन " से करते थे, जैसे ब्लडी सिविलियन अनुशासन हीन है ,ब्लडी सिविलियन बड़े सुस्त है ,इत्यादि ........
एक दिन टी ब्रेक में स्टाफ रूम में बैठकर सब लोग चाय पी रहे थे| चाय पीते पीते इधर उधर की बाते हो रही थी !सरकारी काम में देरी क्यों होती है ? इसपर चर्चा शुरू हुई तो मेज़र शर्मा शुरूकर दिया ,"ब्लडी सिविलियन काम ही नहीं करते, दिनभर इधर उधर की बाते करते हैं |एक दिन का काम को करने में दस दिन लगाते हैं ! रमेश को बुरा लगा लेकिन सीधा कुछ नहीं कहा | उसने कहा, "मेज़र शर्मा सच कह रहे हैं कोई सिविलियन काम ही नहीं करता |देश आगे कैसे बढेगा ? " फिर मेज़र शर्मा को संबोधन कर पूछा ,"मेज़र शर्मा आपके कितने भाई बहन है ?"
मेज़र शर्मा ने कहा कि दो भाई और एक बहन है !
"आपके भाई क्या काम करते हैं " रमेश ने पुछा |
वह निजी कंपनी में इंजिनीअर हैं |
"बहन क्या कर रही है? " रमेश ने फिर पुछा
"वह टीचर है |"
"आपके पिताजी क्या काम करते हैं ?"
वह इंजिनीअर थे अब रिटायर हैं |
"अर्थात आपके घरमे एक अकेला आप ही मिलिटरी आफिसर है बाकी सब ब्लडी सिविलियन है ,है न ?" रमेश ने कहा |
इसे सुनते ही मेंजर शर्मा का चेहरा देखने लायक था ,उसने कुछ नहीं कहा लेकिन उस दिन से उनको ब्लडी सिविलियन कहते किसी ने नहीं सुना !
कालीपद "प्रसाद "
रमेश एक मिलिटरी शिक्षा संस्था में शिक्षण का काम करता था |उस संस्था में शिक्षण का काम सिविलियन इंस्ट्रक्टर ही करते थे परन्तु उनके अनुपस्थिति में मिलिटरी आफिसर की पोस्टिंग होती थी |ऐसे ही एक परिस्थिति में मेज़र शर्मा की पोस्टिंग उस संस्था में हुआ था | तीन मिलिटरी आफिसर पहले थे| इनको मिला कर चार आफिसर हो गए | सिविलियन और मिलिटरी आफिसर मिलकर सोलह /सत्रह सदस्य थे|
मेज़र शर्मा वैसे तो बहुत अच्छे व्यक्ति थे परन्तु उनका एक तकिया कलाम था जिसके वजह उनको लोग घमंडी समझते थे | वह सिविलियन के बारे में जब भी कुछ कहते ,शुरू "ब्लडी सिविलियन " से करते थे, जैसे ब्लडी सिविलियन अनुशासन हीन है ,ब्लडी सिविलियन बड़े सुस्त है ,इत्यादि ........
एक दिन टी ब्रेक में स्टाफ रूम में बैठकर सब लोग चाय पी रहे थे| चाय पीते पीते इधर उधर की बाते हो रही थी !सरकारी काम में देरी क्यों होती है ? इसपर चर्चा शुरू हुई तो मेज़र शर्मा शुरूकर दिया ,"ब्लडी सिविलियन काम ही नहीं करते, दिनभर इधर उधर की बाते करते हैं |एक दिन का काम को करने में दस दिन लगाते हैं ! रमेश को बुरा लगा लेकिन सीधा कुछ नहीं कहा | उसने कहा, "मेज़र शर्मा सच कह रहे हैं कोई सिविलियन काम ही नहीं करता |देश आगे कैसे बढेगा ? " फिर मेज़र शर्मा को संबोधन कर पूछा ,"मेज़र शर्मा आपके कितने भाई बहन है ?"
मेज़र शर्मा ने कहा कि दो भाई और एक बहन है !
"आपके भाई क्या काम करते हैं " रमेश ने पुछा |
वह निजी कंपनी में इंजिनीअर हैं |
"बहन क्या कर रही है? " रमेश ने फिर पुछा
"वह टीचर है |"
"आपके पिताजी क्या काम करते हैं ?"
वह इंजिनीअर थे अब रिटायर हैं |
"अर्थात आपके घरमे एक अकेला आप ही मिलिटरी आफिसर है बाकी सब ब्लडी सिविलियन है ,है न ?" रमेश ने कहा |
इसे सुनते ही मेंजर शर्मा का चेहरा देखने लायक था ,उसने कुछ नहीं कहा लेकिन उस दिन से उनको ब्लडी सिविलियन कहते किसी ने नहीं सुना !
कालीपद "प्रसाद "
8 टिप्पणियां:
आपका आभार मयंक जी !!
बहुत खुबसुरत
वाह...बहुत बढ़िया प्रस्तुति...आप को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
नयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो
.बहुत बढ़िया प्रस्तुति..
बहुत अच्छे!! इसी पर किसी ने कहा था कि सवाल जिस ज़ुबान में किया जाए, जवाब भी उसी ज़ुबान में दिया जाना चाहिए!!
बहुत धारदार लघु कथा लघु कलेवर बड़ा सन्देश।
जैसे को तैसा...बहुत सुन्दर लघुकथा...
बहुत सुन्दर
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