चुप क्यों हो प्यारे मोहन !
किसने हर लिया तुम्हारा मन ?
गोपियों के साथ हँसते थे, खेलते थे
गोपों के साथ क्यों हो गए मौन ?
द्वारका छोड़ तुम इन्द्रप्रस्थ आये
सभा में गोप ही गोप हैं ,गोपियाँ है कम ?
कुछ तो हैं गोपियाँ,
फिर दुखी क्यों तुम्हारा मन ?
चुप मत रहो कुछ तो बोलो ,हे मोहन मुरारी
जनता जानना चाहती है ,तुम्हारे मन की बेकरारी।
कुछ नहीं बोलना, तो मत बोलो
सुना दो मुरली की कुछ धुन ,
नाचेंगे गौ-प्रजा तुम्हारे
सुनकर मन-मोहन बांसुरी धुन।
बिना धुन के नाच रहे है
बिगड़ रहा है ताल ,
इधर उधर भाग रहे है
सब हैं बेलगाम।
कोई ताबूत ले भाग रहा है,
कोई गाय का चारा खा रहा है ,
कोई चापर ,कोई एयर बस उड़ा रहा है ,
कोयला से कोई मुहँ काला कर बैठा है ,
दूर संचार तार से कोई फांसी लगाया है
मेरिन में डूबकर चुपके कोई मलाई खा रहा है ,
इसपर भी सब अपने को
"आदर्श " निर्दोष नेता बता रहें हैं ,
ये सब क्या हो रहा है ?
तुम तो कुछ बोलो ,कुछ तो राज खोलो।
तुम गुमसुम ऐसे बैठे हो
जैसे राधा से हो गया अनबन ,
गोपियाँ सब आ गयी सड़क पर
( राधा के समर्थन में),
छोड़कर मथुरा वृन्दावन।
जो भी कारण हो ........
तुम चतुर हो ,सब जानते हो
पर उपाय क्यों नहीं निकल लेते हो ?
मेरी बात मानो
कुछ गोपों को तुम सभा से बाहर करो
प्रगति पथ के काँटे जितने
सबको साफ़ करो।
माता यशोदा को नाराज मत करो
उनकी अमुल्य सलाह लो
वही बताएगी मुक्ति पथ
बेशक थोडा धीरज धरो ,
पर कुछ तूम तो बोलो।
कालीपद "प्रसाद "
©सर्वाधिकार सुरक्षित
14 टिप्पणियां:
सटीक..सार्थक ...!!!
अगर कान्हा की बांसुरी बोली तो गर्जन से शायद ये सभी दुर्जन गोप लुप्त हो जाएंगे इस समाज से ... बस जरूरत है अब किसी कान्हा के आने की ...
msundar bhavpurn prastitiohan ne man moh liya hai ,ban gaye aaj manmohan hai,
बहुत बढ़िया कटाक्ष है कालीपद जी ! आनंद आ गया ! हमें तो यही संदेह है कि यह मनमोहन भी असली है या मोहन का मुखौटा पहने कोई बहुरूपिया आ बैठा है इन्द्रप्रस्थ में !
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवारीय ब्लॉग बुलेटिन पर |
satik rachna.......kanha kay madhyam say sab keh dala apne...
सुंदर !
बहुत सटीक...
सार्थक रचना...
बढ़िया है आदरणीय-
शुभकामनायें स्वीकारें ||
सुंदर और बहुत सुंदर ...
बहुत ही सुंदर, बेहद गहन भाव अभिव्यक्ति,,,बधाई काली प्रसाद जी,,,,
RECENT POST: पिता.
आप सबको बहुत बहुत धन्यवाद ! अपनी अमुल्य मत से अनुगृहित करते रहिये, आभार !
वाह सटीक कटाक्ष ...परंतु यशोदा माता के रूप में किस की ओर इशारा है ...ये बात परेशान कर रही है
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