रविवार, 19 मई 2013

विविधा -1

१  


सुख के हर दिन,  हर पल,  ख़ुशी के नहीं  होते

महकते मखमली गुलाब भी निष्कंटक नहीं होते।

 

सड़क  पर  खून  से  लटपत   औरत  दम  तोड़  रही  है 

संवेदनहीनता देखिये गाडी से झांककर कायर भाग रहे है। 

 

इंसान थे ,बन गए नेता ,इंसानियत खो गयी कहीं 

शायद मर गई ,हो गया मुर्दा ,उनमे अब संवेदना नहीं।

 

 गम -ए -ज़माना का आलम  अजीब है 

आदमी ही आदमी का खून प़ी  रहा है।

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२  

दुनिया फरेबी हो  जाए तो होने दीजिये ,खुद न बदलिए.

ले जाने दीजिये सब तगमे ,आप लालच न कीजिये।

 

ना काया से ,ना मोह कोई रिश्तों से, क्षण भंगुर है सारा 

मौसम  के अनुकूल चढो  ऊपर नीचे  जैसे धातु पारा। .

 

हर परिचय के लिए थकना पड़ता है 

तब कहीं अनाम को नाम मिलता है।   

 

ना मंदिर , ना  मस्जिद ,ना गिरजे में मिलेंगे 

आँखें मुदों , दिल-द्वार खोलो , खुदा वहीँ मिलेंगे।

 

रचना :

कालीपद "प्रसाद"

सर्वाधिकार सुरक्षित

 

26 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

बहुत खूब ,सभी पंक्तियाँ कथा व्यथा और संदेस की प्रतिक हैं

Ranjana verma ने कहा…

बहुत बढ़िया प्रस्तुति !!सभी लाइन सन्देश से भरपूर .....

Asha Lata Saxena ने कहा…

सार्थक प्रस्तुति |
आशा

Rewa Tibrewal ने कहा…

sandesh deti rachna....bahut khoob

रजनीश तिवारी ने कहा…

सच कहा है ...अच्छी प्रस्तुति

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति !!

Rajendra kumar ने कहा…

बहुत ही सुन्दर संदेश देती प्रस्तुति,आभार.

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुंदर रचना
क्या बात

Maheshwari kaneri ने कहा…

सच कहा है ...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..आभार.

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर !

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

आँखें मुदों , दिल-द्वार खोलो , खुदा वहीँ मिलेंगे।
SAHI KAHA ....

Sadhana Vaid ने कहा…

अर्थपूर्ण एवँ सशक्त प्रस्तुति ! बहुत सुंदर !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सार्थक प्रस्तुति ...

Shalini kaushik ने कहा…

बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .sahi jagah batayi hai aapne khuda ke milne kee . .आभार . मेरी किस्मत ही ऐसी है .
साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

धन्य वाद, आभार

Laxman Bishnoi Lakshya ने कहा…

बहुत बढ़िया प्रस्तुति !
बहुत कुछ का अनुसरण कर बहुत कुछ देखें और पढें

रश्मि शर्मा ने कहा…

बहुत खूब लि‍खा आपने..

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

भावनात्मक अभिव्यक्ति सार्थक प्रस्तुति

kanu..... ने कहा…

bahut hi acchi rachnaein

बेनामी ने कहा…

बहुत खूब
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अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

सुन्दर आनुभूति, खूबशूरत विचरों का प्रवाह

Unknown ने कहा…

सुंदर सार्थक प्रस्तुति ....

Unknown ने कहा…

सुन्दर भाव... सुन्दर रचनाए.... कृपया मेरा ब्लॉग का भी अनुसरण कीजिए

अरुणा ने कहा…

मानवता का सन्देश
सुन्दर सार्थक प्रस्तुति

prritiy----sneh ने कहा…

ना मंदिर , ना मस्जिद ,ना गिरजे में मिलेंगे
आँखें मुदों , दिल-द्वार खोलो , खुदा वहीँ मिलेंगे।

achhi prastuti

shubhkamnayen

tbsingh ने कहा…

sunder racahana