सोमवार, 19 मई 2014

क्या मोदी दूसरा मनमोहन होगा ?



          लोकतंत्र में चुनाव के माध्यम से जनता नई सरकार बनाती है और पुरानी सरकार को गिरा देती है ! चुनाव के समय मतदाता ही मालिक होता है और मतदान के बाद मंत्री मालिक हो जाता है ,यह एक बिडम्बना है | कांग्रेस (युपिए)सरकार की सम्बेदन हीनता ,देशव्यापी भ्रष्टाचार,मंत्रियों का भ्रष्टाचार में लिप्त होना ,सरकारी धन और साधनों का दुरूपयोग ,उद्योगपतियों को लाभ पहुँचना और जनता को महंगाई के मार से मारना ,जनता ने स्वीकार नहीं किया है| यही कारण है कि जनता ने देश के सबसे पूरानी पार्टी कांग्रेस को उखाड़कर कूड़ेदान में फेंक दिया है ! विरोध में बैठने लायक भी नहीं छोड़ा और मोदी को सत्तारुड कर दिया|
‘अच्छे दिन आयेंगे ‘, ‘सुशासन’ ,’सबका साथ सबका विकास’ ‘ जैसे नारों के बल पर मोदी ने पूर्ण बहुमत तो हासिल कर लिया परन्तु उसका असली परीक्षा अभी बाकी है | जनता की आशाओं और अपेक्षाओं पर खरे उतरने के लिए मोदी को अपना स्वविवेक का उपयोग करना होगा और महत्वपूर्ण मसले पर निष्पक्ष होकर जनहित में निर्णय लेना पड़ेगा ,लेकिन इनमे कुछ बाधाएं है जैसे मनमोहन के सामने बाधाएं थीं | अधिकतर लोगों का मत है कि मनमोहनसिंह एक इमानदार और योग्य प्रधान मंत्री थे  परन्तु कमज़ोर प्रधान मंत्री थे  क्योंकि वह रिमोट चालित थे |उसके पास सारे जिम्मेदारियां थीं परन्तु शक्ति नहीं थी |शक्ति कहीं किसी और के हाथ में थी ,इसलिए वह कारगर स्वनिर्णय लेने में असमर्थ रहे | मोदी को इस परिस्थिति से बचना चाहिए| जैसा कि खबर है कि आर .एस ,एस ने घर घर अपना कार्यकर्ता को भेज कर मोदी का प्रचार किया ,यदि यह सच है तो आर .एस ,एस चाहेगा कि मोदी उनकी इच्छानुसार काम करें | आर .एस ,एस के  सिद्धांत का पालन करना अच्छा है परन्तु दिन प्रतिदिन के सरकारी काम काज उनके आदेश से हो ,यह ठीक नहीं | यह मोदी के लिए घातक सिद्ध हो सकता है |उसे दूसरा मनमोहन बनाकर रख देगा ,इसीलिए मोदी को देश हित और जनहित को ध्यान रखकर स्वतंत्र निर्णय लेना चाहिए | आर .एस ,एस -रिमोट कंट्रोल से मुक्त होना चाहिए |तभी वह अपने को एक काबिल और सशक्त प्रधान मंत्री सिद्ध कर पाएंगे |
    दूसरी समस्या उद्योग पतियों की ओर से होगी | उद्योगपतिओं ने जो धन बी जे पी के प्रचार में खर्च किये हैं वे उसे कई गुणाकर वसूलने की कोशिश करेंगे|इसके लिए मोदी पर पार्टी का दबाव भी होगा|इसमें भी मोदी को जनहित का ध्यान रख कर फैसला लेना होगा !यदि उद्योगपतियों को खुला छोड़ दिया और पट्रोल जैसे बहुप्रभावी वस्तु का दाम बढाने की आजादी दी गई तो सभी वस्तुओं का दाम बढ़ जायेंगे और महंगाई की मार झेल रही जनता को और ज्यादा मार झेलनी पड़ेगी | इस से जनता में रोष फ़ैल जायेगा |अत: मोदी सरकार को महंगाई को नियंत्रण में रखने के कारगर कदम उठाना पड़ेगा |
     मोदी पर कई बार लोगो ने आरोप लगाया है कि वह एर्रोगंट (arrogant)है |  इसका क्या कारण है ,यह तो नहीं पता ,परन्तु यदि उसमे ऐसा कुछ है तो उसे छोड़ना पड़ेगा और उनके आदर्श पुरुष अटल बिहारी बाजपेयी जैसे धैर्यवान ,विवेकशील पुरुष बनकर राजधर्म का पालन  करना पड़ेगा ,तभी वह एक स्वतंत्र ,सशक्त,सर्वमान्य  प्रधान मंत्री बन पायेगा|

कालीपद "प्रसाद "
18 /०५/२०१४











8 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (20-05-2014) को "जिम्मेदारी निभाना होगा" (चर्चा मंच-1618) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक ' जी आपका आभार !

Rajendra kumar ने कहा…

जनता की आशाओं और अपेक्षाओं पर खरे उतरने के लिए मोदी को अपना स्वविवेक का उपयोग करना होगा, पार्टी के दबाव में नही। बेहतरीन आलेख।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

अपने ही कारणों से अगर वो कार्य न करें तो कोई क्या कर सकता है ... पर जनता ने उन्हें चुना है तो कार्य तो करना ही होगा ...

कविता रावत ने कहा…

जनता की नज़रों में देश का सर्वांगीण विकास करेंगे तो कोई कुछ क्यों कहेगा
आशा के अनुरूप खरा उतरने की बड़ी जिम्मेदारी हैं हमारे PM पर

dr.mahendrag ने कहा…

आपने जो शंकाएं ज़ाहिर की सही है पर मोदी भी इन बातों को ज्यादा अच्छी तरह से जानते हैं शायद आप और हम से भी ज्यादा इसलिए परिवर्तन ता अन्य बातों के लिए इंतजार ही करना होगा आखिर पिछले बारह साल सी एम रह कर उन्होंने सब देखा है

Asha Joglekar ने कहा…

मोदी जनता हित में काम करें तो पार्टी क्या कर लेगी । जन हित के काम ही उन्हें दुबारा जिता सकती है पर उन्हें कारोबार सरकार और जनता इनमें संतुलन बनाना होगा. बेहतर होगा कि हम देखें कि क्या होता है आगे।

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

जो बातें भविष्य के गर्भ में है उनके लिए समय का इन्तजार करना ही बेहतर होगा !!