चार मुक्तक (प्रकृति पर )
हिम शिखर है या सफ़ेद ओड्नी पहनी है धरती
हरा लहंगा पर रंग विरंगे फुल सजाई धरती
सरिता के स्रोत से कुछ रेखाएं भी खींची है
काले काले बादल से काजल लगाईं धरती |
घन घोर काली घटाएं रवि का रास्ता रोक लिया
धरती के आँगन को काली चादर से ढक दिया
किन्तु रवि -रश्मि नहीं मानती कोई बाधा
बादल के सीना चीरकर रवि का उदय हुआ |
नहीं जन ,नहीं जल कण की निशान कहीं
जहाँ तक नजर जाय ,बालुकण के ढेर वहीँ
किन्तु करिश्मा धरती की देखो गौर से
सुखा महा मरुभूमि में शाद्वल सूखता नहीं |
शाद्वल=जलाशय=oasis
आधारहीन नभ में देखो असंख्य तारे लटके हैं
क्रम से सब अपने पथ में आवागमन करते हैं
नहीं करते अतिक्रम कोई किसी और के रास्ते में
तभी तो जिन्दा है ,अनादि काल से भ्रमण करते हैं |
कालीपद "प्रसाद "
©सर्वाधिकार सुरक्षित
22 टिप्पणियां:
प्रकृति के अद्भुत नज़ारों को बड़ी सुंदरता से वर्णित किया है ! सभी मुक्तक सुंदर हैं !
बहुत सुन्दर।
सुप्रभात।
नववर्ष में...
स्वस्थ रहो प्रसन्न रहो।
आपका दिन मंगलमय हो।
बहुत सुंदर !
सुन्दर प्रस्तुति-
आभार आदरणीय-
बहुत सुंदर....नव वर्ष मंगलमय हो आपका....
काफी उम्दा रचना....बधाई...बेहतरीन चित्रण....
प्रकृति का सुन्दर चितरण...बहुत सुंदर...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (4-1-2014) "क्यों मौन मानवता" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1482 पर होगी.
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
सादर...!
\राजीव कुमार जी! सुचना के लिए धन्यवाद |
नया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |
नई पोस्ट विचित्र प्रकृति
नई पोस्ट नया वर्ष !
कुदरत की माया का सुंदर चित्रण खींचा है आपने, बधाई !
सादर/सप्रेम,
सारिका मुकेश
http://sarikamukesh.blogspot.com
http://hindihaiku.blogspot.com
Lajawab
ati sundar bhawon ke moti ....
प्रकृति के नज़ारों को बड़ी सुंदरता से प्रस्तुत करते सुंदर मुक्तक ...!
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए...!
RECENT POST -: नये साल का पहला दिन.
nice
Sundar
सभी मुक्तक बहुत सुन्दर, बधाई.
प्रकृति के अद्भुत नजारे..बहुत सुंदर पोस्ट !
आपकी इस प्रस्तुति को आज की बुलेटिन हिंदी ब्लॉग्गिंग और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
बहुत सुन्दर चित्र काव्य प्रकृति नटी का बहु विध श्रृंगार करता हुआ।
प्राकृति के विभिन्न रंगों को समेट कर लिखी लाजवाब रचना ...
वह आदिशक्ति वह प्रकृति-नटी
धर नए रूप नित आती है|
उस परम तत्व की इच्छा बन,
यह सारा साज सजाती है |
सुन्दर चित्रण...उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
नयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-तुमसे कोई गिला नहीं है
Sundar, Racana ke liye bhut 2 Bdhaee
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