शुक्रवार, 3 जनवरी 2014

विचित्र प्रकृति



चार मुक्तक (प्रकृति पर )




 हिम शिखर है या सफ़ेद ओड्नी पहनी है धरती
हरा लहंगा पर रंग विरंगे फुल सजाई धरती
सरिता के स्रोत  से कुछ रेखाएं भी खींची है
काले काले बादल से काजल लगाईं धरती |



घन घोर काली घटाएं रवि का रास्ता रोक लिया
धरती के आँगन को काली चादर से ढक दिया
किन्तु रवि -रश्मि नहीं मानती कोई बाधा
बादल के सीना चीरकर रवि का उदय हुआ |








नहीं जन ,नहीं जल कण की निशान कहीं 
जहाँ तक नजर जाय ,बालुकण  के ढेर वहीँ 
किन्तु करिश्मा धरती की  देखो गौर से 
सुखा महा मरुभूमि में शाद्वल सूखता नहीं |


शाद्वल=जलाशय=oasis





आधारहीन नभ में देखो असंख्य तारे लटके हैं 
क्रम से सब अपने पथ में आवागमन करते हैं 
नहीं करते अतिक्रम कोई किसी और के रास्ते में 
तभी तो जिन्दा है ,अनादि काल से भ्रमण करते हैं |



कालीपद "प्रसाद "
                                                      ©सर्वाधिकार सुरक्षित



22 टिप्‍पणियां:

Sadhana Vaid ने कहा…

प्रकृति के अद्भुत नज़ारों को बड़ी सुंदरता से वर्णित किया है ! सभी मुक्तक सुंदर हैं !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर।
सुप्रभात।
नववर्ष में...
स्वस्थ रहो प्रसन्न रहो।
आपका दिन मंगलमय हो।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत सुंदर !

रविकर ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति-
आभार आदरणीय-

Misra Raahul ने कहा…

बहुत सुंदर....नव वर्ष मंगलमय हो आपका....
काफी उम्दा रचना....बधाई...बेहतरीन चित्रण....

Maheshwari kaneri ने कहा…

प्रकृति का सुन्दर चितरण...बहुत सुंदर...

राजीव कुमार झा ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (4-1-2014) "क्यों मौन मानवता" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1482 पर होगी.
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
सादर...!

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

\राजीव कुमार जी! सुचना के लिए धन्यवाद |
नया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |
नई पोस्ट विचित्र प्रकृति
नई पोस्ट नया वर्ष !

Mukesh Tyagi ने कहा…

कुदरत की माया का सुंदर चित्रण खींचा है आपने, बधाई !

सादर/सप्रेम,
सारिका मुकेश
http://sarikamukesh.blogspot.com
http://hindihaiku.blogspot.com

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

Lajawab

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

ati sundar bhawon ke moti ....

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

प्रकृति के नज़ारों को बड़ी सुंदरता से प्रस्तुत करते सुंदर मुक्तक ...!
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए...!
RECENT POST -: नये साल का पहला दिन.

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

Arun sathi ने कहा…

Sundar

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

सभी मुक्तक बहुत सुन्दर, बधाई.

Anita ने कहा…

प्रकृति के अद्भुत नजारे..बहुत सुंदर पोस्ट !

HARSHVARDHAN ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति को आज की बुलेटिन हिंदी ब्लॉग्गिंग और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

virendra sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर चित्र काव्य प्रकृति नटी का बहु विध श्रृंगार करता हुआ।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

प्राकृति के विभिन्न रंगों को समेट कर लिखी लाजवाब रचना ...

shyam gupta ने कहा…

वह आदिशक्ति वह प्रकृति-नटी
धर नए रूप नित आती है|
उस परम तत्व की इच्छा बन,
यह सारा साज सजाती है |

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

सुन्दर चित्रण...उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

नयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-तुमसे कोई गिला नहीं है

Naresh chandra ने कहा…

Sundar, Racana ke liye bhut 2 Bdhaee