दोस्तों ! शिक्षा की दृष्टि से पूरी जिंदगी ही बाल्यकाल है | बाल्यकाल में ही शिक्षा आसानी होती है |कोशिश कर रह हूँ बाल्यकाल को फिर से जीने की और नई चीज सीखने की | आप लोगो से ही जाना हाइगा क्या है | हाइगा का प्रथम चित्र प्रकाशित कर रहा हूँ |बताइए सही बना कि नहीं ? सुझाव सादर आमंत्रित है |
कालीपद "प्रसाद"
चित्र- मेरे केमेरा |
कालीपद "प्रसाद"
16 टिप्पणियां:
बहुत खूब!
अगर शब्द भण्डार अच्छा है तो व्यक्ति को हाइगा' ,हायकू या क्षणिकाएँ लिखने में आनंद आएगा.
[एक सुझाव है कि रंगीन अक्षर अगर हलके रंग की पृष्ठभूमि पर लिखे होते तो पढने में आसान होते .]
sr ka pahla ' haiga ' h dilkholke 100 me se 100 / agli bar alpnaji ki bat dhyan rakhiyega sr :)
अल्पना जी ! आपके सुझाव सराहनीय है -ध्यान रखूँगा |आभार |
आभार प्रतिभा जी ! आपका पेंटिंग का सुझाव काम आ गया !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (03-12-2013) की 1450वीं में मंगलवारीय चर्चा --१४५० -घर की इज्जत बेंच,किसी के घर का पानी भरते हैं में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत खूबसूरत हाइगा है कालीपद जी ! अल्पना जी के सुझाव से मैं भी सहमत हूँ !
प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद साधना जी !
आपका आभार शास्त्री जी !
सुंदर !
बहुत सुन्दर
धन्यवाद सुशील कुमार जी !
अनेक दिन परे एलेन ,धन्यवाद ! भालो आछेन तो ?
sundar
सुन्दर-
आभार -
मस्त ... मज़ा आया ...
स्वतंत्र भाव प्रकाशन का चित्र एक अच्छा माध्यम है !
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