चाँदनी रात
१
१
सूरज जब छुप जाता हैं
सांझ की काली आँचल में ,
तारों में तुम अकेला चंदा
चाँदनी फैलाते हो जग में |
२
२
कभी बादलों के पीछे
कभी पेड़ के पीछे
छुपते छुपाते तुम आते हो
हम बच्चों को पुलकित कर जाते हो |
३
ऊपर आकाश नीला
नीचे जलधि का जल नीला
अँधेरे को भगाती चाँद की चाँदनी
नाविक का रास्ता बनाती उजला |
३
ऊपर आकाश नीला
नीचे जलधि का जल नीला
अँधेरे को भगाती चाँद की चाँदनी
नाविक का रास्ता बनाती उजला |
साभार : चित्र गूगल से साभार
कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित
13 टिप्पणियां:
wah ! sundar chitr kay saath sundar panktiyan
सुंदर रचना ....
बहुत सुंदर तस्वीरें और उन्हें सार्थक करती क्षणिकायें ! बहुत खूब !
भावपूर्ण पंक्तियाँ,सुंदर प्रस्तुति ...!
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RECENT POST -: हम पंछी थे एक डाल के.
सुंदर !
बहुत सुंदर क्षणिकाएं....
वाह .. हैक्गा के साथ क्षणिकाएं भी ... लाजवाब तडका ...
सुन्दर हाइगा और क्षणिकाएँ, बधाई.
sundar prastuti..
waah bahut sundar ...naye roop men .....
khubsurat post sr
सुन्दर प्रस्तुति
सुंदर रचनायें . . .
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