बुधवार, 25 दिसंबर 2013

ईसु का जन्म !

                                                                                

                                                   ईसु 



परमपिता परमेश्वर नहीं 
चाहते बनना ,मानव शिशू 
दूत बनाकर पुत्र को भेजा 
नाम था उसका ईसु  |

समाज की रीतियाँ ,बेड़ियों,
अन्धविश्वास  को त्तोडना था
बेत्लेहेम में ,अस्तबल में 
कुवांरी माँ से जन्मा था !

मरियम माता थी और 
पिता परमेश्वर की इच्छा थी 
मानव और ईश्वर के बीच की 
वही  तो मुक्ति बैतरनी  थी |

तीस वर्ष की उम्र तक किया 
साधारण मजदूर बढाई का काम
तीसवें साल में दीक्षा  ली और 
गुरु बना उनका युहन्ना जॉन |

सहृदय,निशंकोच, धर्मप्रचारक थे 
किन्तु निर्लिप्त ,अनाशक्त थे 
'पाप से घृणा करो पापियों से नहीं "
ऐसे उत्तम उनके विचार थे |

ईश्वर रूपहीन हैं ,वह अदृश्य हैं 
पर ईशु,परमेश्वर का दृश्य रूप है
ईश्वर अकथनीय ,अव्यक्त  हैं
किन्तु ईशु उनकी अभिव्यक्ति है |

ईशु के माध्यम सन्देश दिया 
प्रेम करो और प्रेम से रहो सब साथ 
पडोशी हो ,मित्र हो या शत्रु हो
प्रेम से मिलो ,प्रेम से मिलाओ हाथ |

क्षमा करना कष्ट दाता को 
मानना उसे नादान ,अबोध है 
करो प्रेम परमात्मा से सदा 
वह जग पिता ,सबका पिता है |

ईशु ने किया क्षमा सब आततायी को 
किया प्रार्थना परमेश्वर से 
"हे प्रभु ! वे नादान है ,मुझे क्रूस पर जो लटका रहे हैं 
इन्हें क्षमा करना ,नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं |"


कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित


12 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर रचना !

Ramakant Singh ने कहा…

BEHATARIN RACHANA

Rewa Tibrewal ने कहा…

rachna kay madhyam say sundar sandesh.....

अनुपमा पाठक ने कहा…

सुन्दर!

Unknown ने कहा…

सुंदर रचना ....
बड़े दिन की बधाई

Anita ने कहा…

यीशु को नमन

देवदत्त प्रसून ने कहा…

सुन्दर और ज्ञानात्मक प्रस्तुतीकरण !

बेनामी ने कहा…

सुन्दर अति सुन्दर

Ankur Jain ने कहा…

बहुत उम्दा प्रस्तुति।।।

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुंदर रचना !
यीशु को नमन ......

आशीष अवस्थी ने कहा…

आ० बहुत बढ़िया प्रस्तुति , नव वर्ष २०१४ की हार्दिक शुभकामनाएं , धन्यवाद
नया प्रकाशन -; जय हो विजय हो , नव वर्ष मंगलमय हो

Satish Saxena ने कहा…

सुंदर !!
आभार इस पोस्ट के लिए !!