चित्र गूगल से साभार |
हेमराज,सुधाकर की मज़ार से ,आ रही पुकार रे
नव जवान ! नव जवान !! नव जवान !!! जाग रे!!!!
देख ले, एल ओ सी पर खड़े हैं धोखेबाज शत्रु अनेक
सिखा दे पढ़ा उनको , धोखेबाज को उचित सबक
बिन बुलाये अतिथि ये तेरे घर आये हैं,
स्वागत करना धर्म तेरा ,पुरानों की रीति है,
स्वागत सज्जा कर ले तू ,रायफल ,मशीनगन ,तोप से
पुकार रही सदैव तुझे ,मेन्धर -लद्दाख की घाटी रे
नव जवान ! नव जवान !! नव जवान !!! जाग रे!!!!
जागो और जागकर बचाओ अपनी माँ की लाज को
समय आया है वही , तुम्हे इन्तेजार था जिसका
उठो अर्जुन एकबार फिर गांडीव को संभल लो
अहँकारी दू:शासन फिर ललकारा ,भीम गदा उठा लो
ऐ नकुल ! समझो तुम अब शकुनि की चाल को
कर ना पाए बध अब कोई, वीर अभिमन्यु को
ये पुकार है माताओं की औरपुकार है बहनों की रे
नव जवान ! नव जवान !! नव जवान !!! जाग रे!!!!
देश -देश में सिखाओ , देश भक्ति का पाठ तुम
सिखाओ बल एकता का ,ऐ साहसी निडर तुम!
दिखा दे अपनी शौर्य दुनियां की रणस्थल में
समझा दे ,दूर कर दे भ्रान्ति ,शत्रुओं के दिलों से
हम नहीं कायर ,वीर चूड़ामणि है, शिष्य द्रोणाचार्य के
प्रेम करते हैं, स्नेह करते हैं सबसे ,ये हमारे धर्म की पुकार रे
नव जवान ! नव जवान !! नव जवान !!! जाग रे!!!!
शहीदों की औलाद हो तुम ,उनकी वीरता का प्रतीक हो तुम
हँसते हँसते खेले जिन्होंने आग से , फल मिला है आज़ाद हो तुम
अब अगर रक्षा न कर पाए उसकी ,न कर पाए देश कल्याण तुम
तो धिक्-धिक् तुम्हे ,क्यों झूठे नौ जवान कहलाते हो तुम ?
ये पुकार है देश की, और पुकार है उस माँ की रे
जिनकी किरीट हिमालय है,चरण धो रही है महासागर की लहरें
नव जवान ! नव जवान !! नव जवान !!! जाग रे!!!!
रचना : कालीपद "प्रसाद "
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