सोमवार, 30 दिसंबर 2013
बुधवार, 25 दिसंबर 2013
ईसु का जन्म !
ईसु
परमपिता परमेश्वर नहीं
चाहते बनना ,मानव शिशू
दूत बनाकर पुत्र को भेजा
नाम था उसका ईसु |
समाज की रीतियाँ ,बेड़ियों,
अन्धविश्वास को त्तोडना था
बेत्लेहेम में ,अस्तबल में
कुवांरी माँ से जन्मा था !
मरियम माता थी और
पिता परमेश्वर की इच्छा थी
मानव और ईश्वर के बीच की
वही तो मुक्ति बैतरनी थी |
तीस वर्ष की उम्र तक किया
साधारण मजदूर बढाई का काम
तीसवें साल में दीक्षा ली और
गुरु बना उनका युहन्ना जॉन |
सहृदय,निशंकोच, धर्मप्रचारक थे
किन्तु निर्लिप्त ,अनाशक्त थे
'पाप से घृणा करो पापियों से नहीं "
ऐसे उत्तम उनके विचार थे |
ईश्वर रूपहीन हैं ,वह अदृश्य हैं
पर ईशु,परमेश्वर का दृश्य रूप है
ईश्वर अकथनीय ,अव्यक्त हैं
किन्तु ईशु उनकी अभिव्यक्ति है |
ईशु के माध्यम सन्देश दिया
प्रेम करो और प्रेम से रहो सब साथ
पडोशी हो ,मित्र हो या शत्रु हो
प्रेम से मिलो ,प्रेम से मिलाओ हाथ |
क्षमा करना कष्ट दाता को
मानना उसे नादान ,अबोध है
करो प्रेम परमात्मा से सदा
वह जग पिता ,सबका पिता है |
ईशु ने किया क्षमा सब आततायी को
किया प्रार्थना परमेश्वर से
"हे प्रभु ! वे नादान है ,मुझे क्रूस पर जो लटका रहे हैं
इन्हें क्षमा करना ,नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं |"
कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित
रविवार, 22 दिसंबर 2013
चाँदनी रात
चाँदनी रात
१
१
सूरज जब छुप जाता हैं
सांझ की काली आँचल में ,
तारों में तुम अकेला चंदा
चाँदनी फैलाते हो जग में |
२
२
कभी बादलों के पीछे
कभी पेड़ के पीछे
छुपते छुपाते तुम आते हो
हम बच्चों को पुलकित कर जाते हो |
३
ऊपर आकाश नीला
नीचे जलधि का जल नीला
अँधेरे को भगाती चाँद की चाँदनी
नाविक का रास्ता बनाती उजला |
३
ऊपर आकाश नीला
नीचे जलधि का जल नीला
अँधेरे को भगाती चाँद की चाँदनी
नाविक का रास्ता बनाती उजला |
साभार : चित्र गूगल से साभार
कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित
शनिवार, 21 दिसंबर 2013
सोमवार, 16 दिसंबर 2013
चंदा मामा
गूगल से साभार |
चंदा मामा है ....दूर देश में ...
घुमते फिरते हैं .. आकाश में ...|
पल पल बढ़ते ..बढ़ते जाते ...
सूरज जैसा गोल हो जाते ...
पूर्णिमा को धवल चाँदनी
धरती पर वो फैलाते .....,
चांदनी फैली वन जंगल में
हिम आलय ओ अम्बर में...
चंदा मामा है ....दूर देश में ...
घुमते फिरते हैं .. आकाश में ..|
फिर मामा का रूप बदलता...
पल पल वो घटता जाता ...
अमावश में वो छिप जाता...
धरती पर अँधेरा छा जाता .....
एक दिन का विश्राम लेकर
फिर उग जाते आकाश में ....
चंदा मामा है ....दूर देश में ...
घुमते फिरते हैं .. आकाश में ..|
कालीपद "प्रसाद "
©सर्वाधिकार सुरक्षित
|
गुरुवार, 5 दिसंबर 2013
कालाबाश फल
मित्रों ! तीन दिसम्बर को मैं हाइगा बनाने की कोशिश कर रहा था ! मेरे केमेरा द्वारा लिया गया एक चित्र पर मेरी नज़र पड़ी ! एक पेड़ पर कुछ लौकी जैसे फल लगे थे पर लौकी नहीं थे | कठहल जैसे लटक रहे थे पर शरीर पर कांटे नहीं थे अत: कठहल नहीं था |सोचने लगा क्या था वह ? तभी दिमाग में बात आई क्यों न इसपर एक हाइकु लिखकर हाइगा बना दिया जाय और जानकारो से जान लिया जाय | झट पट एक हाइकु लिख डाला --
Scientific name.... Crescentia Cujete
Common name .....Calabash Tree
Family ...............Bignanioceae
मैंने calabash गूगल सर्च मे डाला तो उसके चित्र सहित पुरा जानकारी मेरे सामने था |उसका कुछ चित्र यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ |अधिक जानकारी केलिए गूगल में " Calabash fruit" लिख कर सर्च करें|
इसकी उत्पत्ति मध्य अमेरिका में हुआ परन्तु इसका उपयोग फिलीपींस में दवाई के रूप में होने लगा था ! अब पुरे विश्व में इसका सिमित रूप में उपयोग होता है ! मैंने इसे हैदराबाद से ४० किलोमीटर दूर प्रगति रिसोर्ट में देखा था |यह एक हर्बल रिसोर्ट है |हाइगा चित्र वहीँ का है | अभी का सभी चित्र गूगलसे साभार लिया गया है |
कालीपद "प्रसाद "
वृक्ष का फल
जैसे लौकी वैसा हूँ
बोलो कौन हूँ |
चित्र के साथ पब्लिश कर दिया |आप सब ने देखा परन्तु सही नाम शायद किसी को मालुम नहीं है |मैं भी नहीं जानता था | पेड़ के पास एक बोर्ड था|उसका चित्र मैंने ले लिया था , जिसपर लिखा था :-Scientific name.... Crescentia Cujete
Common name .....Calabash Tree
Family ...............Bignanioceae
मैंने calabash गूगल सर्च मे डाला तो उसके चित्र सहित पुरा जानकारी मेरे सामने था |उसका कुछ चित्र यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ |अधिक जानकारी केलिए गूगल में " Calabash fruit" लिख कर सर्च करें|
इसकी उत्पत्ति मध्य अमेरिका में हुआ परन्तु इसका उपयोग फिलीपींस में दवाई के रूप में होने लगा था ! अब पुरे विश्व में इसका सिमित रूप में उपयोग होता है ! मैंने इसे हैदराबाद से ४० किलोमीटर दूर प्रगति रिसोर्ट में देखा था |यह एक हर्बल रिसोर्ट है |हाइगा चित्र वहीँ का है | अभी का सभी चित्र गूगलसे साभार लिया गया है |
कालीपद "प्रसाद "
मंगलवार, 3 दिसंबर 2013
सोमवार, 2 दिसंबर 2013
हँस-हाइगा
दोस्तों ! शिक्षा की दृष्टि से पूरी जिंदगी ही बाल्यकाल है | बाल्यकाल में ही शिक्षा आसानी होती है |कोशिश कर रह हूँ बाल्यकाल को फिर से जीने की और नई चीज सीखने की | आप लोगो से ही जाना हाइगा क्या है | हाइगा का प्रथम चित्र प्रकाशित कर रहा हूँ |बताइए सही बना कि नहीं ? सुझाव सादर आमंत्रित है |
कालीपद "प्रसाद"
चित्र- मेरे केमेरा |
कालीपद "प्रसाद"
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