चित्र गूगल से साभार |
"दो जवान
सरहद पर शहीद हुए हैं" ,
मंत्री जी देश को बता रहे हैं,
"सुनो, सुनो, सुनो ,
हमने कड़े शब्दों में
अपना विरोध जताया है।
"पाक" के राजदूत को बुलाकर
बताया है ---
तुम्हारे सैनिक युद्ध विराम का
उल्लंघन किया है।
हमेशा तुम ऐसा करते आये हो
हमारे सैनिको को मारते आये हो
लेकिन हमने हमेशा नजर अंदाज किया ,
फिर से क्यों किया ?
अबकी बार तो बर्बरता का काम किया
एक सैनिक का सर तुमने काट लिया
यह अच्छा नहीं किया।
लिखकर कारण बताओ, ऐसा क्यों किया ?
आशा है आगे ऐसा नहीं करोगे और
लिखकर जवाब भेज दोंगे ।"
मंत्री जी का भाषण समाप्त हुआ
आश्वासन की पोटली खुली और
वादा शुरू हुआ।
"हेमराज और सुधाकर थे
बहादुर और इमानदार ,
थे दिलेर सैनिक बेमिसाल।
देश की रक्षा में हुए न्योछावर
इनके बीबी बच्चो का हम रखेंगे ख्याल।
इनको घर देंगे , शिक्षा देंगे ,नौकरी भी देंगे,
हर हाल में हम उनकी करेंगे देखभाल।
तभी एक पत्रकार ने कहा --
"मंत्री जी! ऐसा ही कुछ आपने
कारगिल के शहीदों के परिवार को कहा था,
कुछ याद आया ?
वे सब फ़ाइले अभी भी आपके
परिवार वाले दफ्तर के
"देखिये उन नन्हे मासूमों को
सुनी सुनी ,छलकती आँखों से
तक रहे है बिलखती माँ को ,
शायद समझ नहीं पा रहे हैं
कि माँ क्यों रो रही है।
नहीं पता उन्हें कि
हमेशा के लिए वे खो दिया है पिता को।"
"क्या मासूमो से किया वादा
आपकी राजनीति है या छलना ?"
जो मिलना है उन्हें देश से
वह नहीं है आपका कृपादान ,
सैनिक लड़ते हैं सरहद पर
लेकर हथेली पर जान,
उनके बच्चों का है यह हक़
अच्छी शिक्षा ,अच्छा जीवन और सम्मान।
अगर कुछ करना चाहते हो
तो नन्हे मुन्नों से किया वादा
अबिलम्ब पूरा कर दो ।
बूढ़े माँ बाप का सहारा छीन गया
उन्हें जीने का सहारा दे दो।
मुखौटा तुम उतार फेंको
कायरों का हाथ काट कर फेंको
युद्ध के लिए ललकारो उन्हें , समझाओ
वीरों का युद्ध कैसा होता है ???
आमने सामने की लड़ाई में , बताओ उन्हें
हिंदुस्तानी एक सर की कीमत कितनी होती है???
चोरो की भांति आये और चोरों की भांति गए
अँधेरा, कुहरा का फायदा उठा कर
लोमड़ी की तरह भागे ,
उनसे हाथ मिलाने में आपको
शर्म हो न हो , या
कोई कुछ बोले न बोले
शर्म होगी हर हिंदुस्तानी को।
श्रद्धांजलि
बहादुर शहीदों को सलाम !!!
कालीपद " प्रसाद "
©सर्वाधिकार सुरक्षित
22 टिप्पणियां:
इनके सर कर दो कलम ........... फिर भाषण के मायने समझ में आयेंगे
Vakayee me enke sir kalam kar dene ke alava aur koe elaz nahi hai,Shahio ko salam
सुन्दर प्रस्तुति ||
शुभकामनायें भाई जी ||
श्रद्धांजली देने में हम शर्मिंदा हैं .....
हमारे दामन पर भी छीटें हैं .............
पलटकर फिर भी ये बेशर्म आँखें दिखाएंगे
हमारे सैनिकों की मौत पर खुशियाँ मनाएंगे
चलो अब खुद करें ऐलान हम ही युद्ध का
कलम कर दें हर उस इंसान को
खड़ा है जो हमारे देश के सम्मान पर !!
ऊर्जावान प्रभावशाली रचना !!
सिर्फ देश के एक बड़े नेता का सर कलम कर दो ...फिर तमाशा देखो
विचारोत्तेजक
besharm neta unke antim sanskar me bhi jana munasib nahi samjhate hain ......unhen dr hai ki kahin Pakistan ke samarthak unke vote km na ho jayen ........rachana behad prabhavshali lagi ...sadar aabhar Kali Prasad ji .
शर्म कहाँ आती हैं अब बेशर्मों को ....
प्रेरक प्रस्तुति
दुखद और शोचनीय स्तिथि...बहुत सटीक अभिव्यक्ति...
uf ye hamari sarkar hi hai jo chup hai kahin aur hota to ab tak na jane kya kya ho gaya hota ................
rachana
अमर शहीदों को शत शत नमन,,,,
recent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
नमन ....भारत माँ के वीरों को
वे सब फाईलें अभी भी मेंज पर धुल चांट रही हैं और परिवार वाले चक्कर लगा रहे हैं !
भारत में शहीदों का यही हश्र होता आया है !
स्थिति और समय की ओर ध्यानाकृष्ट करती रचना !
नमन ..शहीदों को !
स्वागत है आपका ....
बहुत कुछ सीखने को मिलेगा आपसे !
आभार!
namaskar -
raajneeti me aane ke liye do saal kee sainya seva anivaary shart banaa dee jaaye to kaisa rahe ?
शिल्पा जी मैं आपसे सहमत हूँ परन्तु दो साल नहीं पांच साल अनिवार्य मिलिट्री रेगुलर सर्विस होना चाहिए .जिसमे उन्हें निस्वार्थ सेवा, देश भक्ति ,अनुशासन ,विनम्रता आदि की शिक्षा दी जनि चाहिए.
वर्तमान परिस्थितियां बस शर्मिन्दा कर जाती हैं ... हम खामोशी से बस विष पान करते रहते हैं पल-पल
बेहद सार्थक व सशक्त लेखन
आभार सहित
सादर
नमन भारत के वीर जवानो को को..
अमर शहीदों को श्रद्धांजलि !
राजनीति में आनेवालों के लिये कुछ योग्यताएँ (शिक्षा चरित्र आदि की )अनिवार्य होनी चाहिएं ,और समय-समय पर निष्ठा और कर्तव्य कार्यों का परीक्षण भी होता रहे .सन्नद्ध न रहें, तो हटा देने का प्रावधान ज़रूरी है. .
बढ़िया रचना .जय हिंद ....आप भी पधारो स्वागत है ...http://pankajkrsah.blogspot.com
शहीद की कुरबानी,राजनीति की कीचड में
धंस जाती है,यह एक कटु सत्य है,कौन देखे
अबोध आम्सुओम को,बूधी आंखों में टूटती
उम्मीदें,और सूनी मांगों को,सब बहरे-अम्धे हैं
भाव पूर्ण रचना,कई प्रश्नों को अन्नुतरित छोड गई.
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