तस्वीरें क्या बोल रही है ?
निस्तब्द निशा ,दिशाएं भी खामोश थी
पिया परदेश में,तन मन में उदासी थी
मेरा रोना देख , रजनी और चाँद भी रोया
अश्रु इतना गिरा ,सिन्धु में ज्वार आ गया |
धान की लम्बी लम्बी बालियाँ झुककर
नम्रता से मानव को यह बतलाती है
तुमने धरती को एक दाना दिया था
धरती ने हजार दाना लौटाया है |
हरा है पौधा ,पीला है सरसों का फूल
फल इसका क्षुद्र, ज्यों एक कण धुल
हरी साडी पहनाती वो धरती को
और बेणी में लगाती है पीला फुल |
ना छंद का ज्ञान ,ना गीत ,ना ग़ज़ल लिखता हूँ
दिल के आकाश में बिखरे बादलों को शब्द देता हूँ
इसे जो सुन सके वो संवेदनशील प्रबुद्ध ज्ञानी हैं
विनम्र हो ,झुककर उन्हें मैं नमन करता हूँ |
कालीपद 'प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित
17 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (14-01-2014) को मकर संक्रांति...मंगलवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1492 में "मयंक का कोना" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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मकर संक्रान्ति (उत्तरायणी) की शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका आभार शास्त्री जी !आपको भी मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएं !
मकर संक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाएँ ! सुंदर !
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति। मकर संक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाएँ !
nc post sr
wah bahut sundar....har tasveer kay saath umda rachna
सभी छंद बहुत ही भावपूर्ण ...
मकर संक्रांति की बधाई ...
मकर संक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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आपको ये जानकर अत्यधिक प्रसन्नता होगी की ब्लॉग जगत में एक नया ब्लॉग शुरू हुआ है। जिसका नाम It happens...(Lalit Chahar) है। कृपया पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | सादर ..... आभार।।
ना छंद का ज्ञान ,ना गीत ,ना ग़ज़ल लिखता हूँ
दिल के आकाश में बिखरे बादलों को शब्द देता हूँ
इसे जो सुन सके वो संवेदनशील प्रबुद्ध ज्ञानी हैं
विनम्र हो ,झुककर उन्हें मैं नमन करता हूँ |
बंधुवर.....सादर नमन...इतनी सुन्दर रचना के लिए..!
आपको पसंद आया मुझे पुरस्कार मिल गया ..आभार सादर नमन !
सुन्दर छंदों के साथ अभिव्यक्त बोलती तस्वीरें लाजवाब.हैं --बधाई
बहुत बेहतरीन...चित्र के संग कविता...वाह, आनंद आ गया:-))
मकर संक्रांति की शुभकामनाएं!!
सादर,
सारिका मुकेश
http://sarikamukesh.blogspot.com/
बहुत बहुत बहुत सुन्दर रचनाएं आदरणीय
बहुत सुंदर बोलती तस्वीरें ..
बहुत खूब......
बहुत सुन्दर रचनाएं..
ना छंद का ज्ञान ,ना गीत ,ना ग़ज़ल लिखता हूँ
दिल के आकाश में बिखरे बादलों को शब्द देता हूँ
इसे जो सुन सके वो संवेदनशील प्रबुद्ध ज्ञानी हैं
विनम्र हो ,झुककर उन्हें मैं नमन करता हूँ |
बहुत सुन्दर रचना!
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