अनुभूति

अनुभूति में आपका स्वागत है| ................... ना छन्द का ज्ञान ,ना गीत ,ना ग़ज़ल लिखता हूँ ............ दिल के आकाश में बिखरे बादलों को शब्द देता हूँ .............. इसे जो सुन सके वो संवेदनशील प्रबुद्ध ज्ञानी हैं ............. विनम्र हो,झुककर उन्हें मैं नमन करता हूँ |

मंगलवार, 15 सितंबर 2015

हिंदी-पर्व


Posted by कालीपद "प्रसाद" at 9/15/2015 03:28:00 pm 3 टिप्‍पणियां:
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कालीपद "प्रसाद"
अपने स्कूल के दिनों से मुझे पढने , लिखने और अध्यापन में रूचि थी. रामायण , महाभारत जैसे धार्मीक पुस्तके पढने तथा कविता पढने एवं लिखने में मेरी विशेष रूचि थी. कालेज की पढाई समाप्त कर मैंने अध्यापन के पेशे को चुना . इसमें मैं सेवानिवृत्त के अंतिम दिन तक पूर्ण रूप से आनंद का अनुभव किया . मैं केंद्रीय विद्यालय संगठन से प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ . किशोर एवं युवा बच्चों के साथ रहकर मैंने हमेशा युवा एवं उर्जावान महसूस किया है. सेवानिवृत्त के बाद लिखने ,पढने ,आध्यात्मिक कार्य एवं योगाभ्याश में अपने समय के सबसे अधिक भाग व्यतीत करते है.मैं "स्वांत सुखाय" लिखता हूँ . लेकिन हाल ही में ब्लॉग में अच्छे अच्छे कवियों एवं लेखकों की रचनाएँ मूझे देखने को मिली . उनकी कृतियों का प्रकाशन देख कर मूझे अपने कृतियों का प्रकाशन कर भारत के बौद्धिक एवं संवेदनशील वर्ग से साझा करने की प्रेरणा मिली .तब मैंने अप्रैल २०१२ में अपना ब्लॉग "मेरे विचार मेरी अनुभूति" के नाम से शुरू किया . आशा है प्रबुद्ध पाठकों की आलोचना ,सुझाव ,प्रशंसा मूझे आगे बढ़ने में मदद करेंगे .Link: http://kpk-vichar.blogspot.in Mob.09423245086
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