अनुभूति में आपका स्वागत है|
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ना छन्द का ज्ञान ,ना गीत ,ना ग़ज़ल लिखता हूँ ............
दिल के आकाश में बिखरे बादलों को शब्द देता हूँ ..............
इसे जो सुन सके वो संवेदनशील प्रबुद्ध ज्ञानी हैं .............
विनम्र हो,झुककर उन्हें मैं नमन करता हूँ |
3 टिप्पणियां:
एक दिन नहीं, हर दिन हिंदी का हो ...
बहुत सुन्दर सन्देश .
सुंदर प्रस्तुती...
बहुत ही बढ़िया अत्ती उत्तम शेयर करने के लिए
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