१.
लड़की की शादी
माता पिता
दहेज़ विरोधी।
२.
लड़के की शादी
माता पिता
दहेज़ की हिमायती।
३ .
लड़की की शादी
सामत घराती की
नखरे बाराती की।
४
नई दुल्हन
दहेज़ लेकर आयी
घर की गृहलक्ष्मी।
५.
नई दुल्हन
दहेज़ नहीं लायी
कुलक्षनी।
६ .
|
चित्र गूगल से साभार |
दुल्हन वही
पिया मन भाये
सास को रखे रिझाये।
७ .
ननद
परिवार का नारद
बिगाड़े सास -बहु सम्बन्ध ।
८
देवर
भाभी का सहारा
जब बाहर हो भैया बेचारा।
९
ससुर
राग अलापता सुबह शाम
बेचारा श्रोताहीन, है अ-सुर।
१ ०
|
चित्र गूगल से साभार |
सास
लेडी गब्बारा
बहु के सर फोडती गुब्बारा।
..........................................
रचना :
कालीपद "प्रसाद"
सर्वाधिकार सुरक्षित
36 टिप्पणियां:
सभी क्षणिकाएँ वर्तमान सन्दर्भ में सार्थक ,सुन्दर
बहुत ही सुन्दर और सार्थक हैं यें क्षणिकाएँ.
बहुत सही कहा यही तो होता है सुंदर प्रस्तुति!!
बहुत बढिया
बहुत सुंदर
सुन्दर क्षणिकाएं !!
वर्तमान सन्दर्भ को बयान करती खुबसूरत क्षणिकाएं परिवार की मनोदशा का वर्णन करती .....
आज के सन्दर्भ में अच्छी क्षणिकाएं |
आशा
बिलकुल सही.. खूबसूरत रचना...
gaagar mein sagar ..behtareen chhadikaayein
सुंदर !
सुन्दर क्षणिकाएं !!
सुन्दर...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल शुक्रवार (10-05-2013) के "मेरी विवशता" (चर्चा मंच-1240) पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
waah ....
नारी समस्याओं पर अच्छी क्षणिकाएं !
वैसे आज कल काफी कुछ बदल गयी हैं परिभाषायें ......
बहुत खूब क्षणिकाएं कहीं आपने पर आजकल रिश्तों के मायने बिलकुल बदल गए हैं |
sundar....maza aaya padh kar
आभार शास्त्री जी
very aptly described in very short. loved these. very well written!!
वास्तविकता का सच्चा चित्रण ! धन्यवाद , आभार ! आप जैसे सशक्त चिंतक कोई इलाज सुझाएँ क्षणिकाओं के द्वारा !प्रार्थना है ! "भोला-कृष्णा", बोस्टन [यू एस ए]
बहुत सुन्दर और सार्थक चित्रण ,बहुत खूब क्षणिकाएं
वर्तमान संद्रभ में सटीक व सार्थक.
रामराम
खूबसूरत प्रस्तुति
bahut sundar kshanikayen.
aaj ke sandarbh me bilkul sahi hai........sundar prastuti
भोला कृष्ण जी ,मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपका आभार, मेरा दूसरा ब्लॉग में "मेरे विचार मेरी अनुभूति" में "हे ! भारत के मातायों " पढ़कर अपनी राय दें .
bahut khoob ...!!
वर्तमान को दर्शाती सटीक पंक्तियाँ/ साधुवाद
प्रतीक संचेती
सटीक व सार्थक चित्रण
बहुत ही सुन्दर और सार्थक हैं यें क्षणिकाएँ
बिलकुल सही.. खूबसूरत रचना...
कम शब्दों में अत्यंत सार की बाते ..अच्छा है ..आपके ब्लॉग का अनुसरण कर रहा हूँ .आप भी यदि मेरे ब्लॉग का अनुसरण करेंगे मुझे बेहद खुसी होगी ..सादर
are waaaaaaaaaaaaaaaah kya bat hai bhot khub bhot khub
सुंदर सार्थक क्षणिकायें
बहुत खूब
सादर
पढ़ें"बूंद"
सुन्दर क्षणिकाएं. स्वागत.
एक टिप्पणी भेजें